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भूय॑सा व॒स्नम॑चर॒त्कनी॒योऽवि॑क्रीतो अकानिषं॒ पुन॒र्यन्। स भूय॑सा॒ कनी॑यो॒ नारि॑रेचीद्दी॒ना दक्षा॒ वि दु॑हन्ति॒ प्र वा॒णम् ॥९॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

bhūyasā vasnam acarat kanīyo vikrīto akāniṣam punar yan | sa bhūyasā kanīyo nārirecīd dīnā dakṣā vi duhanti pra vāṇam ||

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

भूय॑सा। व॒स्नम्। अ॒च॒र॒त्। कनी॑यः। अवि॑ऽक्रीतः। अ॒का॒नि॒ष॒म्। पुनः॑। यन्। सः। भूय॑सा। कनी॑यः। न। अ॒रि॒रे॒ची॒त्। दी॒नाः। दक्षाः॑। वि। दु॒ह॒न्ति॒। प्र। वा॒णम् ॥९॥

ऋग्वेद » मण्डल:4» सूक्त:24» मन्त्र:9 | अष्टक:3» अध्याय:6» वर्ग:12» मन्त्र:4 | मण्डल:4» अनुवाक:3» मन्त्र:9


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स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब ज्येष्ठ-कनिष्ठ के व्यवहार विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - जो (अविक्रीतः) नहीं बेचा गया (भूयसा) बहुत प्रकार से (कनीयः) अत्यन्त अल्प (वस्नम्) हट्टस्रस्तर अर्थात् हटिया में बिछाने का (अचरत्) आचरण करे (सः) वह (पुनः) फिर (यन्) जाता हुआ (भूयसा) बहुत भाव से (कनीयः) अत्यन्त न्यून कर्म को (न) नहीं (अरिरेचीत्) रीता करे और जो (दीनाः) क्षीण (दक्षाः) चतुर जन (वाणम्) वाणी को (वि, प्र, दुहन्ति) अच्छे प्रकार पूरित करते हैं, उनको मैं (अकानिषम्) प्रदीप्त करूँ और कामना करूँ ॥९॥
भावार्थभाषाः - जो मनुष्य अनेक प्रकार के व्यापार करनेवाले, अभिमानरहित, बुद्धिमान् हुए, विद्या और शिक्षा से पूर्ण वाणी को करते हैं, वे छोटों को पाल सकते हैं ॥९॥
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स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ ज्येष्ठकनिष्ठव्यवहारविषयमाह ॥

अन्वय:

योऽविक्रीतो भूयसा कनीयो वस्नमचरत् स पुनर्यन् भूयसा कनीयो नारिरेचीद्ये दीना दक्षा वाणं वि प्र दुहन्ति तानहमकानिषं कामयेयम् ॥९॥

पदार्थान्वयभाषाः - (भूयसा) बहुना (वस्नम्) हट्टस्रस्तरम् (अचरत्) (कनीयः) अतिशयेन कनिष्ठम् (अविक्रीतः) न विक्रीतः (अकानिषम्) प्रदीपयेयम् (पुनः) (यन्) गच्छन् (सः) (भूयसा) बहुना (कनीयः) (न) निषेधे (अरिरेचीत्) रिक्तङ्कुर्यात् (दीनाः) क्षीणाः (दक्षाः) चतुराः (वि) (दुहन्ति) पूरिताङ्कुर्वन्ति (प्र) (वाणम्) वाणीम्। वाण इति वाङ्नामसु पठितम्। (निघं०१.११) ॥९॥
भावार्थभाषाः - ये मनुष्या विविधव्यापारकारिणो निरभिमानाः प्राज्ञाः सन्तो विद्याशिक्षाभ्यां पूर्णां वाचं कुर्वन्ति ते कनीयसः पालयितुं शक्नुवन्ति ॥९॥
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माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जी माणसे अनेक प्रकारचा व्यापार करणारी, अभिमानरहित, बुद्धिमान, विद्या व शिक्षणाने वाणीचा वापर चांगल्या प्रकारे करतात. ती लहानांचे पालन करू शकतात. ॥ ९ ॥